१-विष्कुम्भ योग- इस योग में जन्म लेने पर मित्रों से अच्छे व्यवहार वाला, स्वाधीन, स्त्री-पुत्र युक्त, कार्यदक्ष एवं गृह निर्माण आदि कार्यों में निपुण होता है।
२- प्रीति योग- प्रीति योग में जन्म लेने पर जातक विनोदी, आश्रित लोगों लिए दयावान, व्याधिहिन, प्रीतिपूर्वक आचरण करने वाला, गुणी एवं मदद प्रार्थी का मददगार होता है।
३- आयुष्मान योग- इस योग में जन्म लेने पर विभिन्न विद्या विशारद, वाहनादि गामी, स्वदेश प्रेमी, पुष्प आदि उद्यान प्रिय एवं सुंदर घर युक्त एवं गर्वित होता है।
४- सौभाग्य योग- इस योग में जन्म लेने पर जातक गर्वित, उदार, प्रियवादी, विवेकपूर्ण, धनी, अभिमानी, शक्तिमान, चाटुकार, प्रसंशा प्रिय एवं भाग्यशाली होता है।
५- शोभन योग- इस योग में जन्म लेने पर दूसरों के धन का भोगी, कार्यदक्ष, सुंदर, सन्मानित, सही उत्तर देने में सक्षम, प्रवीण एवं धीर होता है।
६- अतिगंड योग- इस योग में जन्म लेने पर रोमयुक्त दीर्घदेहि, वेद-शास्त्र आदि विरोधी, विवाद प्रिय, दीर्घ गंड ( गले ) वाला, कृतघ्न एवं चतुर होता है।
७- सुकर्मा योग- इस योग में जन्म लेने पर प्रसन्न, हर्षित, सत्कर्म करने वाला, कला कुशली, यशस्वी एवं उत्साह से परिपूर्ण होता है।
८- धृति योग- धृति योग में जन्म लेने पर विनय सम्पन्न, प्रसन्नवदन, उत्कृष्ट वक्ता, पांडित्यपूर्ण आचरण करने वाला, सुशील व विनय युक्त होता है।
९- शूल योग- इस योग में जन्म लेने वाले दरिद्र, विद्या विहीन, मित्रों ओर दूसरों के लिए शूल रूपी अनिष्टकारी, नीति व धर्म ज्ञान रहित, स्त्री के प्रति अनुरक्त एवं भयभीत होता है।
१०- गंडयोग- इस योग में जन्म लेेंने पर दूसरों का कार्य नष्टकारी, स्वार्थी, धूर्त, कुरूप एवं बंधुजनों को संताप देने वाला होता है।
११- वृद्धि योग- इस योग में जन्म लेने पर विनयी, धन के लेन-देन में बुद्धिमान, खरीद-खर्च आदि के विषय में माहिर एवं भाग्यवान होता है।
१२- ध्रुवयोग योग- इस योग मे जन्म लेने पर कवित्व शक्ति वाला, वाग्मी, मित्रों का पालक, सुंदर एवं कीर्तिसम्पन्न होता होता है।
१३- व्याघात योग- इस योग में जन्म लेने पर दयाहीन, निर्दय, दीर्घदेहि या क्षिणदेही, सज्जनों का अनिष्टकारी, कठोर, चंडनीतिज्ञ एवं क्षीण दृष्टि संपन्न होता है।
१४- हर्षण योग - इस योग में जन्म लेने पर नम्र स्वभाव वाला, क्रोध रहित, धर्म-शास्त्र आदि प्रिय, नेत्र सहित हर्षित एवं प्रसन्नवदन होता है।
१५- वज्र योग - इस योग में जन्म लेने पर वस्त्र या मणिरत्न आदि परीक्षक, शत्रु पत्नी के लिए दुखदयाक, गुणी, बलवान एवं तेजस्वी होता है।
१६- असृक योग- इस योग में जन्म लेने वाला प्रवासी, दुर्मति, लोभी, कुरूप, शक्तिशाली, दुरात्मा एवं धनवान होता है।
१७- व्यतिपात योग- इस योग में जन्म लेने पर पक्षपाती, क्षीणदेहि, मातृ विहीन, खल एवं रूरहवादी होता है।
१८- वरीयान योग- इस योग में जन्म लेने पर धनशाली, सत्कर्म करने वाला, सुंदर भेषधारी, मधुर स्वभाव युक्त, अनेक जनों से युक्त एवं धनवान होता है।
१९- परिघ योग - अल्प भोजन करने वाला, शत्रु नाशी, क्षमाहीन व क्षमारहित, मिथ्या साक्षी देने वाला एवं वंश का विनाशी होता है।
२०- शिव योग - शिव योग में जन्म लेने पर जितेन्द्रिय, सुंदरदेह वाला, योग व तत्व का ज्ञाता, महात्मा, योगी, शिव में भक्ति परायण एवं वेदशास्त्र आदि का अनुरागी होता है।
२१- सिद्ध योग - इस योग में जन्म लेने पर विनयी, गौरवर्ण वाला, जितेन्द्रिय, भोगी, मधुर या विनीत स्वभाव वाला, सत्यव्रत परायण होता है।
२२- साध्य योग - इस योग में जन्म लेने पर शौर्यशाली, परोपकारी, बुद्धि वृत्ति से धन कमाने वाला, शत्रु नाशकारी एवं असम्भव को संभव करने वाला होता है।
२३- शुभ योग- इस योग में जन्म लेने पर विद्वान, सामाजिक कार्य प्रिय, शुभता से युक्त या शुभ कार्य करने वाला, सहिष्णु एवं परोपकारी होता है।
२४- शुक्र योग - इस योग में जन्म लेने पर जितेन्द्रिय, तेजश्वी सभा व विवाद में जयी एवं वस्त्र-माल्यादि से भूषित होता है।
२५- ब्रम्ह योग - इस योग में जन्म लेने पर शांत आचरण वाला, स्वजाती के अचार से युक्त, यशस्वी, धर्म-शस्त्रादि बातों से दिन बिताने वाला, कीर्तिशाली एवं सुंदरतापूर्ण कार्य करने वाला होता है।
२६- इंद्र योग-इस योग में जन्म लेने पर इन्द्र के समान प्रतापशाली, लक्ष्मी से युक्त, प्रसन्नचित्त, सुंदर एवं बलवान होता है।
२७- वैधृति योग - इस योग में जन्म लेने पर कुकर्मी, खल स्वभाव वाला, मित्रहीन, क्रूर, परस्त्री आसक्त एवं प्रवंचक होता है।