Chipkali ka girna (छिपकली का गिरना)

Kaushik sharma
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                      Chipkali ka girna , छिपकली का गिरना


छिपकली का गिरना एवं तदसम्बन्धित विषय में वैदिक उड्डीश तंत्र या शकुन शास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों में छिपकली के गिरने तथा विभिन्न दिशाओं से आवाज करने पर शुभ-अशुभ फलों का वर्णन किया गया है। छिपकली द्वारा घटित होने वाली घटनाएं आपके भविष्य के वो संकेत है जिसके आश्चर्यजनक फलों का अनुभव करने या पूर्ण परिचित होने पर इसको स्वीकारने भी लगेंगे। वर्तमान आधुनिक युग के मायावादी व्येक्तियों को छिपकली से जुड़े तंत्र को मनगरत मानकर सर्वदा इसकी उपेक्षा किया करते है। वस्तुतः छिपकली तंत्र के पूर्ण तथ्य से अज्ञानता ही इसका मूल कारण होता है। चाहे जो भी हो इसके वैदिक प्रमाण के साथ पूर्ण सत्य से अनुभव द्वारा अवगत होने पर इस पर आप भी विश्वास जरूर करने लगेंगे। आईये जाने की मनुष्य के किन अंगों पर छिपकली के गिरने से क्या फल मिलता है-

1:- शीर्षे श्रीयोह वाप्ति- अर्थात - सिर पर गिरने पर धन का लाभ।
2:- भाले ऐशर्य मेवच- अर्थात- भाल ( कपोल) पर ऐशर्य का लाभ।
3:- कर्णयो भूषणावाप्ति- अर्थात- कान पर भूषणादि का लाभ। 
4:- नेत्रयों बन्धु दर्शनं - अर्थात - नेत्र पर मित्र का दर्शन।
5:-नासिकायांच सौगान्धं -अर्थात- नाक पर सुगंध युक्त वस्तु की प्राप्ति।
6:-  बक्त्रे मिष्टान्न भोजनं- अर्थात- छाती पर मीठी वस्तु का लाभ।
7:-  कंठेचैव श्रीयोवाप्ति- अर्थात- गले पर धन की प्राप्ति।

8:-  भुर्जयो विभवो भवेत- अर्थात- भुजा पर वैभव की प्राप्ति।
9:-  धनलाभो बाहुमुले - अर्थात- हथेली के नीचे पर धन का लाभ।
10:- करयो धन वृद्धय: - अर्थात- हथेली पर धन की वृद्धि।
11:- स्तनमुलेच सौभाग्यं- अर्थात- स्तन के नीचे सौभाग्य की प्राप्ति।
12:- हृदि सौख्य विवर्धनं- अर्थात- हृदय पर सुख की वृद्धि।
13:- पृष्ठे महीलाभ: - अर्थात- पीठ पर जमीन जायदाद का लाभ।

14:- पार्षयो बन्धु दर्शन- अर्थात- कमर पर मित्र से भेंट या मित्र दर्शन।
15:- कटीद्वये वस्त्रलाभो- अर्थात- कमर के दोनों हिस्से पर वस्त्र लाभ।
16:- गुह्ये मृत्यु समागम- अर्थात- लिंग स्थान पर मृत्यु से भेंट।
17:- जंघे चार्थक्षयो- अर्थात- जंघे पर धन का क्षय या धन का नाश।
18:- गुदे रोगभयं - अर्थात- गुदा पर रोगभय।
19:- उर्बोस्तु वाहनापि- अर्थात गाल पर वाहनादी लाभ।
20:- जानु अर्थक्षय- अर्थात जानु पर धन का क्षय या धन का नाश।
21:- वाम दक्षिणो पदे भ्रमणं- अर्थात दोनों पावों पर भ्रमण।

नोट:   

     " पतनान्तर चैवा रोहणं यदि जायते।

   पतने फलमुतकृष्टं रोहणे हन्यात फलं स्मृतं।। "


छिपकली के अंग पर गिरने के बाद यदि शरीर के ऊपरी तरफ अग्रसर होकर शरीर से चला जाए तो ऊपरी उक्त सभी फलों की प्राप्ति होती है तथा अंग पर गिरने के बाद यदि शरीर के नीचे की और चला जाए तो उल्टा फल मिलता है। जैसे धनलाभ की जगह धन नाश इत्यादि।








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