यात्रा का शुभ दिन और मुहूर्त

Kaushik sharma
यात्रा का शुभदिन और मुहूर्त

यात्रा किस दिशा में और कब करें इसके लिए सर्वप्रथम जरूरी है अयन शुद्धि की क्योंकि अयन शुद्धि होने पर यात्रा में सुरक्षा और सफलता का मार्ग और भी दुगना हो जाता है। पाठक इसकी जानकारी के लिए कालजयी ग्रन्थ "मुहूर्त चिंतामणि" में कथित इस श्लोक को समझें तथा यात्रा में विशेष सफलता के लिए इसका हमेशा ध्यान रखें ।

                         अथः अयनशुद्धि

       
   सौम्यायने सूर्यविधू तदोत्तरां प्राचीं व्रजेत्तौ यदि दक्षिणायने प्रत्यग्यमाशां च तयोर्दिवानिशं भिन्नायनत्त्वेश्थवधोऽन्यथा भवेत

सूर्य एवं चंद्र जब उत्तरायण में हो तब उक्तकाल में उत्तर और पूर्व की यात्रा करनी चाहिए तथा चंद्र-सूर्य के दक्षिणायन में होने पर पश्चिम या दक्षिण दिशा में यात्रा करना चाहिए। तुरंत यात्रा में अगर सूर्य उत्तरायण तथा चंद्र दक्षिणायन में हो और पूर्व दिशा में जाना पड़े तो यात्रा रात्रि को न करके दिन रहते करनी चाहिए और इसके विपरीत यदि चंद्र उत्तरायण में और सूर्य दक्षिणायन में हो और पश्चिम दिशा की यात्रा हो तो रात्रि को यात्रा करना ही श्रेयस्कर है। वैसे तो आजकल यात्राएं काफी बढ़ गई गई है और समय असमय तुरन्त यात्रा का प्रचलन बढ़ गया है फिर भी विशेष यात्रा के लिए इस नियम को हमेशा ध्यान में रखकर यात्रा करने पर आपके जान-माल की सुरक्षा का दायरा ही नही अपितु आपके यात्रा का शुभ परिणाम भी कई गुना बढ़ जाता है।


वैदिक नियमानुसार यात्रा के लिए नियम-


शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की षष्ठी, अष्टमी, द्वादशी, पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, दोनों पक्ष की रिक्तातिथि यानी ( चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी ), अवम एवं त्राहस्पर्श यानी जिस दिन तीन तिथियां एक दिन में पड़े इन दिनों में यात्रा कदापि नही करनी चाहिए। शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को अशुभ एवं कृष्णा प्रतिपदा को यात्रा शुभ माना गया है। ज्योतिष नियमानुसार भातृ द्वितीया की यात्रा से मृत्युतुल्य परिणाम की प्राप्ति होती है। अब विस्तारपूर्वक तिथि अनुसार यात्रा का फल इस प्रकार से समझें-

तिथि अनुसार यात्रा का फल-                                                             

१. शुक्ल प्रतिपदा- इस दिन यात्रा करने से अमंगलकारी परिणाम होता  है इसलिए इस दिन यात्रा करना वर्जित माना गया है।

२. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की द्वितीया - इस दिन यात्रा करने से मंगलकारी एवं शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है।

३. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की तृतीया - इस दिन की यात्रा जय कारक होता है। कोर्ट-केस से संबंधित इस दिन की यात्रा शुभ परिणाम लाता है।

४. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की चतुर्थी - इस दिन यात्रा न करना ही श्रेयस्कर है क्योंकि इस दिन यात्रा करने पर मार्ग में या गन्तव्य स्थान पर वध या बन्धन का सामना करना पड़ता है।

५. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की पंचमी - इस दिन की गई यात्रा से यात्रा कि अभिलाषा पूर्ण होती है इसलिए यात्रा के अभिलाषित फल के सिद्धि के लिए इस दिन यात्रा अवश्य करनी चाहिये।

६. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की षष्ठी - इस दिन की यात्रा से यात्री को मन अनुसार सफलता या लाभ नही मिलता तथा मार्ग या गन्तव्य स्थान मे रोग भय का सामना करना पड़ता है इसलिए चतुर व्येक्ति इस दिन को यात्रा न करें।

७. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की सप्तमी - इस दिन की यात्रा से धन का लाभ होता है इसलिए धन प्राप्ति के निमित्त इस दिन यात्रा धनदायी होता है।

८. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की अष्टमी - इस दिन की यात्रा से मानसिक पीड़ा की वृद्धि होती है इसलिये इस दिन कि यात्रा टालना उचित है।

९. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की नवमी - इस दिन की यात्रा मृत्युतुल्य कष्ट दायक हो सकती है इसलिये इस दिन की यात्रा अशुभ माना गया है ।

१०. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की दशमी - इस दिन की यात्रा शुभ होती है तथा जमीन-जायदाद या भूमिलाभ के संदर्भ हो तो इन विषयों में शुभ फल प्रदान करती है।

११. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की एकादशी - इस दिन की यात्रा को आरोग्यदायक माना गया है इसलिए इस दिन की यात्रा शुभफल दायी है।

१२.शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की द्वादशी - इस दिन की यात्रा से धन का व्यय वृद्धि को प्राप्त करता है इसलिए इस दिन की यात्रा से धन का नुकसान ज्यादा होता है जो की अशुभ है।

१३. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की त्रयोदशी - इस दिन की यात्रा चारों और से शुभ रहता है यात्री के गन्तव्य स्थान के हर मुश्किल को आसान बना देता है। इस दिन की यात्रा को " सर्वे शुभा " यानी चारों और से शुभ माना गया है।

१४. शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की चतुर्दशी - इस दिन की यात्रा हमेशा से ही वर्जित माना गया है तथा रिक्ता तिथि होने से लाभहीनता को दर्शाता है।

१५ पूर्णिमा- इस दिन यात्रा करने से अशुभ फलों की प्राप्ति के कारण इस दिन यात्रा अनुचित मानी गयी है।

१५. अमावस्या - जी हाँ नामानुसार ही इस दिन की यात्रा भयावह फलों की प्राप्ति करवा सकता है इसलिए इस दिन यात्रा करना मूर्खता का परिचय होगा।

१६. कृष्ण प्रतिपदा - इस दिन की यात्रा का शुभ फल ही मिलता है। शुक्ल प्रतिपदा को यात्रा अशुभ मानी गयी है लेकिन कृष्ण प्रतिपदा को यात्रा शुभ फलदायी माना गया है।






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