सिद्धि विनायक मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के प्रभादेवी क्षेत्र में स्थित है। मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और सफलता के देवता के रूप में पूजा जाता है।
इतिहास
किंवदन्दि है कि इस मंदिर का निर्माण संवत् १६९२ में हुआ था। मगर सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का १९ नवंबर १८०१ में पहली बार निर्माण हुआ था। सिद्धि विनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था। पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। हाल ही में एक दशक पहले १९९२ में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए २० हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की। वर्तमान में सिद्धि विनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है और यहां प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश विापीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है, जहां रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। इसी मंजिल पर रसोईघर है, जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। पुजारी गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से लाते हैं।
नवनिर्मित मंदिर के 'गभारा ’ यानी गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक भक्त गणपति का सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहले मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे दर्शन कर सकते हैं। अष्टभुजी गर्भग्रह तकरीबन १० फीट चौड़ा और १३ फीट ऊंचा है। गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें सिद्धि विनायक विराजते हैं। गर्भग्रह में भक्तों के जाने के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं।
वैसे भी सिद्धिविनायक मंदिर में हर मंगलवार को भारी संख्या में भक्तगण गणपति बप्पा के दर्शन कर अपनी अभिलाषा पूरी करते हैं। मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद दर्शन हो पाते हैं। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है।
सिद्धिविनायक मंदिर को हर साल लगभग ₹ 100 मिलियन - ₹ 150 मिलियन का दान मिलता है, जो इसे मुंबई शहर का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट बनाता है। 2004 में, सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट, जो मंदिर का संचालन करता है, पर दान के कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया था। नतीजतन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रस्ट के दान की जांच करने और आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी पी टिपनिस की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। समिति ने बताया कि "इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि विशेष संस्थानों के लिए कोई विधि या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता है। चयनकर्ताओं के लिए केवल मानदंड या संदर्भ या मंत्री या राजनीतिक भारी सिफारिश या संदर्भ थे, जो आम तौर पर सत्ताधारी पार्टी से संबंधित थे।
2006 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट और याचिकाकर्ता केवल सेमलानी को मंदिर के ट्रस्ट फंड का उपयोग करने के लिए "विचारोत्तेजक दिशानिर्देश" तैयार करने का निर्देश दिया।
मंदिर की वास्तुकला
सिद्धि विनायक मंदिर एक दो मंजिला मंदिर है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह एक छोटे से कमरे में स्थित है, जिसमें भगवान गणेश की एक काली पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा चतुर्भुजी है, और उसके ऊपरी दाएं हाथ में कमल, बाएं हाथ में अंकुश, नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक भरा कटोरा है। गणेश के दोनों ओर उनकी पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि विराजमान हैं।
मंदिर का बाहरी भाग भव्य है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिसर है, जिसमें एक बरामदा, एक कुंड और एक गार्डन है। मंदिर के गुंबद और शिखर सोने से मढ़े हुए हैं।
मंदिर का महत्व
सिद्धि विनायक मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को भगवान गणेश की सबसे शक्तिशाली प्रतिमाओं में से एक माना जाता है। इस मंदिर में हर दिन हजारों भक्त आते हैं, और विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
सिद्धि विनायक मंदिर के चमत्कार
सिद्धि विनायक मंदिर के बारे में कई चमत्कारों की कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से उन्हें धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त हुई है।
सिद्धि विनायक मंदिर की यात्रा
सिद्धि विनायक मंदिर मुंबई के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। मंदिर तक पहुंचना आसान है। मंदिर के पास ही एक रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड है। मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है।
सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन का समय
सिद्धि विनायक मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में आरती सुबह 6:00 बजे, 7:00 बजे, 8:00 बजे, 9:00 बजे, 10:00 बजे, 11:00 बजे, 12:00 बजे, 1:00 बजे, 2:00 बजे, 3:00 बजे, 4:00 बजे और 5:00 बजे होती है।
सिद्धि विनायक मंदिर की यात्रा के लिए कुछ सुझाव
मंदिर में दर्शन करने के लिए सुबह जल्दी पहुंचें, क्योंकि दोपहर के बाद मंदिर में भीड़ बढ़ जाती है।
मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं को साड़ी या सलवार कमीज पहनना चाहिए। पुरुषों को धोती या पैंट-शर्ट पहनना चाहिए।
मंदिर में दर्शन करते समय जूते उतारने पड़ते हैं।
मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए पैसे लेकर जाएं।
मंदिर में दर्शन करने के बाद गणेश जी की पूजा-अर्चना करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगें।
Please do not insert any spam link in the comment box.