मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। जो कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। श्रीशैल पर्वत की ऊंचाई 600 मीटर (2,000 फीट) है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है। महाभारत में दिए वर्णन के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। फिरभी फल के लोभ से पूजा अर्चना करना सही नही माना जाता। निष्काम भक्ति और प्रेमभाव से भोले भंडारी तुरंत ही दर्शनार्थी का मंगल आवश्य करते हैं।
पौराणिक कथा
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत प्राचीन है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने भस्मासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। तब भगवान शिव ने देवताओं की रक्षा के लिए श्रीशैल पर्वत पर एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया। इस ज्योतिर्लिंग के प्रकाश से असुरों का नाश हो गया और देवताओं की जीत हुई। भस्मासुर एक असुर था जिसे वरदान मिला था कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। भस्मासुर ने भगवान शिव को वरदान देने के लिए मजबूर किया और भगवान शिव ने उसे वरदान दिया। भस्मासुर ने भगवान शिव को अपने सिर पर हाथ रखने के लिए कहा, लेकिन भगवान शिव ने बचने के लिए कई तरह के उपाय किए। अंत में, भगवान शिव ने एक चाल चली और भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखवा दिया और भस्मासुर भस्म हो गया। भस्मासुर के भस्म होने के बाद, भगवान शिव ने अपने ही भस्म से एक शिवलिंग की स्थापना की और उस शिवलिंग को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर एक बहुत ही भव्य और विशाल मंदिर है। मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव और देवी पार्वती की कई सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं। मंदिर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें भ्रमराम्बा मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर और पंचमुखी हनुमान मंदिर शामिल हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पूरे भारत से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय मानसून के बाद होता है, जब मौसम सुहावना होता है। इस दौरान मंदिर में भीड़ कम होती है और दर्शन करने में आसानी होती है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के लिए निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। यहां से मंदिर तक टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन भी बेगमपेट रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। यहां से मंदिर तक टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से सभी प्रमुख शहरों और कस्बों के लिए बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में दर्शन का समय
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर सुबह 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में सुबह 6:00 बजे, सुबह 10:30 बजे, शाम 6:00 बजे और रात 8:00 बजे आरती होती है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आवश्यक चीजें
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हैं:
साफ-सुथरा कपड़ा
चप्पल या जूते
जल
प्रसाद
श्रद्धा
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नाम
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:
मल्लिका: माता पार्वती का नाम।
अर्जुन: भगवान शिव का नाम।
इस प्रकार सम्मिलित रूप से वे श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से यहाँ निवास करते है।
इतिहास
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत पुराना है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण चालुक्य राजाओं ने करवाया था। बाद में, विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
मंदिर
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर एक विशाल और भव्य मंदिर है। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है:
मुख्य मंदिर: इस मंदिर में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है।
भ्रमरम्बा मंदिर: इस मंदिर में भ्रमरम्बा देवी की मूर्ति स्थित है।
शिखरेश्वर मंदिर: यह मंदिर श्रीशैल पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित है।
मुख्य मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव और देवी पार्वती की कई सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं। मंदिर के गर्भगृह में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग एक विशाल पत्थर से बना है। यह ज्योतिर्लिंग छूने के लिए खुला है।
भ्रमरम्बा मंदिर श्रीशैल पर्वत की दूसरी चोटी पर स्थित है। इस मंदिर में भ्रमरम्बा देवी की मूर्ति स्थित है। भ्रमरम्बा देवी को भगवान शिव की पत्नी माना जाता है।
शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैल पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थित है। इस मंदिर से श्रीशैलम मंदिर और कृष्णा नदी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
दर्शन
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है। मंदिर सुबह 4:30 बजे से शाम 10:00 बजे तक खुला रहता है।
पर्यटन
श्रीशैलम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस स्थान पर कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
गोमुख: यह एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें से एक झरना निकलता है।
नीलकंठ: यह एक जलप्रपात है, जो कृष्णा नदी से गिरता है।
भगवानपुरी: यह एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
निष्कर्ष
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एक पवित्र और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
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