Blue shaphire कब पहनें ?

Kaushik sharma
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शनि अपने स्वभाव अनुुुसार मंदगति सम्पन्न, वृद्ध, कृशकाय तथा जन्मकुण्डली, दशा-अंतर्दशा एवं गोचर में अशुभ होने पर सर्वदा बाधा दायक होकर कार्यों को विलंबित करते है। शनि दीर्घगामी ग्रह होने के कारण ढाई वर्ष तक एक राशि में रहते है तथा दूसरे के भरोसे जिंदगी जीना, घर के सदस्यों के बीच कलह, आत्मीय पीड़ा, वात व्याधि या स्थाई रोगों की उत्पत्ति होती है। शनि योगकारी ग्रह होकर जन्मकुण्डली में लग्न से तृतीय, छठे, दशम या एकादश भाव में होने पर शुभ फलदायी होता है। योगकारी होकर अशुभ स्थानों में होने पर नीला धारण धारण करना विशेष शुभ दायक होता है।

नीलम के प्रकारभेद -

नीलम प्रधानतः दो प्रकार के होते है। 
१:- रक्तमुखी नीलम।
२:- इंद्रनील या साधारण नीलम।

नीलम की प्रजाति-

नीलम की चार प्रजातियां के बारे में कहा गया है।
१- ब्राह्मण जातीय यानी शुभ्र आभायुक्त।
२- क्षत्रिय जाती यानी ज्यादा गहरे नीले रंग का।
३- वैश्य जातीय या हरिद्राभ आभायुक्त।
४- शुद्र जातीय या काला आभायुक्त।

शुद्ध नीलम के ऊपरी भाग में एक ज्योति प्रकाशित होती है जो दिखने पर सुदर्शन व सुवृत्ताकार होता है उसे ही शुद्ध नीलम कहा जाता है। इसमे बिंदु तथा वजन मे कम आदि दोषों से रहित होने पर विशुद्ध नीलम कहलाता है। 

नीलम की परीक्षा -

नीलम को दूधपूर्ण पात्र में रखने पर उस दूध में नीले वर्ण की आभा निकले तो ऐसा नीलम अत्यन्त शुभ होता है।

नीलम के विभिन्न नाम- 

शौरी रत्न, निलाष्म, नीला रत्नक, नीलोत्पल, महानील, त्रिनग्राही, सुनील इत्यादि। 

अशुभ नीलम -

जो नीलम चमक विहीन, मलिन, वजन में हल्का, असमान, छिद्र,विन्दु, रेखा या काली रेखाओं के होने पर अशुद्ध माना जाता है।

अन्य गुणावाली-
नीलम धारण करने पर कफ, पित्त व वायुनाश होता है। मन की विषन्नता ,दुःख एवं व्याधिभय दूर होता है। जन्मकुण्डली में शनि ग्रह की अवस्था अनुसार नीलम धारण करना आवश्यक हो जाता है। बाजार में पीताम्बरी नीलम, इंद्रनील, अपराजिता एवं रक्तमुखी इत्यादि का भरमार है।

उपादान व प्राप्तिस्थान-

नीलम भी shaphire जाति का रत्न है तथा इसका मूल उपादान है aluminum oxide है। इसके अलावा shaphire के बाकी उपादान भी नीलम में विद्यमान रहता है। श्रीलंका, बर्मा, थाईलैंड, जम्मू-कश्मीर नीलम का प्राप्तिस्थल है। कश्मीर में नीलम बहुत कम ही मिलता है परंतु ये नामी नीलम है तथा इनको कश्मीरी नीलम ही कहा जाता है। इस नीलम का रंग मोर के कंठ के समान होता है। इसके अलावा अमेरिका के मोंटाना, कुइन्सलैंड, योगोगुंटेल एवं पूर्व हेलेना इत्यादि अंचलों में भी नीलम की प्राप्ति होती है। 


कब पहने Blue shaphire ?

शनि की गोचर शुद्धि हो तथा अस्त, बाल्य, वृद्ध न हो, शुभ तिथि युक्त शुक्लपक्ष के शनि को इंडेक्स फिंगर में इसे धारण करने पर तथा रत्न का अंगुली से स्पर्श होने पर अत्यंत शुभदायक फलों की प्राप्ति होती है। जातक चाहें तो हमारे कार्यालय से मंगवाकर भी इसे धारण कर सकते है। कार्यालय के फोन नम्बर- 7908125171 पर हमें सूचित करें।





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