2021 में रविपुष्यामृत योग

Kaushik sharma
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                    2021 में रविपुष्यामृत योग 

2021 में रविपुष्यामृत योग, Ravipushyamrita yoga in 2021


2021 में रविपुष्यामृत की तारीखें -


June 13, Sunday

07:01 PM to 05:23 AM, Jun 14

July 11, Sunday

05:31 AM to 02:22 AM, Jul 12

August 8, Sunday

05:46 AM to 09:19 AM


क्यों है रविपुष्यामृत इतना महत्वपूर्ण ?

इस दिन किन कर्मो को करने से होता है लाभ ?

वेदों में वर्णित पुष्या का अर्थ पोषण है जिसका प्रतीक चिन्ह गाय का थन है। जिसका भीतरी अर्थ है मातृरूपी गाय के थन से अमृतमयी दूध द्वारा सभी का पोषण। शनि के नक्षत्र होने के बावजूद पुष्या नक्षत्र के अधिपति चंद्रदेव है जो कि विश्व शांति और मातृरूपी, ममतापूर्ण प्रेम के सूचक है। पुष्या नक्षत्र को २७ नक्षत्रों में श्रेष्ठ कहा जाता है इसलिए इस नक्षत्र से श्रेष्ठता और प्राचुर्य भाव, श्रेष्ठरूप से पालन-पोषण करने वाला, धन, वैभव से परिपूर्ण एवं हर तरह से सर्वाधिक श्रेष्ठता का सूचक है। वैसे ज्योतिष में शुभ मुहूर्त चयन के अंतर्गत कई ऐसे शुभ मुहूर्तों का विवरण मिलता है जो सर्वार्थसिद्धि योग, नक्षत्रामृत योग, गुरुपुष्य योग, त्रिपुष्कर योग नाम से जाने जाते है जो कि कर्मानुसार चयन करने पर मनुष्यों के लिए सर्वाधिक हितकारी सिद्ध हुआ है उन्ही में से एक रविपुष्यमृत योग 



को भी माना गया है। जानकारों की मानें तो कुछ विशेष काम वार अनुसार करने पर ही शुभफल की प्राप्ति संभव होती है। पुष्या नक्षत्र कर्कट के ३°२० से १६°४० अंश-कला पर स्थित अंश पर ही देवता, मनुष्य एवं सभी जीवकुल के पारदर्शी ज्ञान से सम्पन्न एक कुशल वक्ता, पूजा, पाठ, अंगिहोत्र के कारक श्री गुरु बृहस्पति के हर्षित होने के कारण निम्नलिखित कर्मसमुह रविपुष्यामृत योग में अत्यधिक शुभ होते है। शुभकर्म के लिए महत्वपूर्ण दिन होने पर भी इस दिन विवाह करना विशेष अशुभ फलदायी माना गया है। देवता और तंत्र कार्य के लिए शुभदायी इस नक्षत्र में संसार के मोहरूपी विवाह से कोई संबंध न होने पर इस दिन का विवाह पापपूर्ण माना गया है। इस दिन तंत्र-मंत्र से संबंधित कार्य करना, जनसमूह में वक्तृता देना, राजीनीति में प्रेवश करना या शपथ ग्रहण करना शुभफलदायी होता है। जन्मकुंडली के लग्नानुसार सूर्य योगकारी लग्न जैसे सिंह, वृश्चिक एवं धनु लग्न वालों के लिए रविपुष्यामृत अति विशेष शुभदायी है। इस दिन स्वर्ण एवं माणिक्य धारण करना प्रभावशाली होता है। इसके अलावा इस दिन विल्व एवं वट वृक्ष का रोपण करना विशेष मंगलकारी माना गया है। राजनीति एवं तंत्र-मंत्र से सम्बंधित कर्म रविपुष्यामृत में बहुतायत में किये जाते है।






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