Basil saves from disaster in hindi
सर्वोषधि: रसनैव पुरा हमृतमन्यते।
सर्व संतो पराकाय विष्णुमा कृता ।।
जब प्राचीन युग में देव एवं असुरगणों द्वारा समुद्र मंथन किया गया उस वक्त अमृत एवं सर्वोषधि रस सहित सर्व प्राणियों के मंगल हेतु श्री विष्णु ने सर्वगुण समन्वित तुलसी देवी को जन्म दिया।
विप्रसदृशं पात्रं न दानं सुरभिसमम।
न च गंगासम तीर्थ न पत्र तुलसिसमम।।
पृथ्वी पर जिसप्रकार ब्राम्हण समान उत्तम पात्र नहीं, सुरभि अर्थात गौ दान समान कोई दान नही, गंगा समान तीर्थ नही, उसी प्रकार तुलसीपत्र के समान पवित्र कुछ भी नही।
अभिन्न पत्रं हरितां हृद्य मंजरिसंयुताम।
क्षीरोदार्णवसंभूतां तुलसी दापयद्वरे।।
क्षीर सागर से उद्भूत हरे वर्ण की तुलसी, पुष्पसहित अछिन्न पत्र वृंदावनचंद्र श्री कृष्ण को प्रदान करने पर, सभी आपदा एवं विपदा से मुक्त हो सकते है।
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