kak tantra se janen bhavishya ( काक तंत्र से जानें भविष्य )

Kaushik sharma


kak tantra se janen bhavishya


             
वैदिक उड्डीश तंत्र तथा शकुन शास्त्र में शरीर के अंगों का स्पंदन, छिपकली तंत्र, काक तंत्र, स्वप्नफल या स्वप्न वराही तंत्र आदि से भविष्य को जानने के कई विधान बताएं गए है जिनमें आज काक तंत्र के विषय में यहाँ चर्चा करेंगे जिसके द्वारा आप भी अपने नगर, ग्राम या घर के नजदीक किसी कौवे के आवाज या ध्वनि द्वारा भविष्य में घटने वाली घटनाओं को जानने का प्रयास कर सकते है। जिन्हें जानने के लिए न तो ज्योतिष की जरूरत है न तो जन्मकुंडली की। वैसे जन मानस में यह प्रचलित है की कौवा अगर घर के समीप आकर आवाज करे तो किसी अतिथि के आगमन का सूचक होता है परन्तु यह ज्ञान एक अधूरा ज्ञान है जो हर किसी को पूर्णतः मालूम नही होता जिसके कारण कौवे के आवाज भर से कई अनुमान लगा लेतें है जो की कई बार गलत साबित होता है। इसी संदर्भ में आज आपको इसके सम्पूर्ण विवरण से परिचय कराएँगे जिससे आपको इसका पूर्णांग ज्ञान प्राप्त हो सके। याद रखें की दिशा एवं दिन के चारों प्रहर के अनुसार इसके फलों में भिन्नता होती है जो कि इस प्रकार है -


दिशानुसार सूर्योदय के समय में काक ध्वनि का फल-

शकुन शास्त्र अनुसार सूर्योदय के समय पूर्व दिशा से कौवे की ध्वनि हो तो कार्य सिद्धि, शत्रु की हानि, स्त्रीरत्न आदि का सूचक होता है। सूर्योदय के समय उत्तर दिशा से आवाज करे तो इष्ट तथा नष्ट वस्तु का लाभ, दीनता एवं दुःख या सर्प भय आदि का सूचक होता है। ईशान दिशा से सूर्योदय के समय ये आवाज हो तो यातो किसी अन्त्यज जाती की स्त्री का घर में आने से अमंगल या घर में कोई रोगी व्यक्ति हो तो उसका अमंगल या कोई प्रिय वस्तु का लाभ होता है। वायुकोण से सूर्योदय के समय यह आवाज आए तो पूर्व अर्जित धन का नाश, अतिथि या किसी का आगमन, मीठी वास्तु एवं सम्मान लाभ या प्रवास यात्रा का फल मिलता है। पश्चिम दिशा से सूर्योदय के समय आवाज करे उसी दिन किसी दूत का आगमन, स्त्री लाभ, पत्नी से कलह या बारिश होने की सम्भावना होती है। सूर्योदय के समय नैऋत्य दिशा से आवाज आए  तो व्यक्ति कोई क्रूर कर्म का साधन करता है या किसी व्यक्ति का घर में आगमन संभव है ऐसा समझना चाहिये। सूर्योदय के समय दक्षिण दिशा से आवाज हो तो रोग भोग, अपमृत्यु या मनस्ताप आदि का फल प्राप्त होता है। यदि आवाज मधुर हो तो इष्ट वस्तु या स्त्री से भेंट या स्त्रीलाभ होता है। अग्निकोण से सूर्योदय के समय आवाज आये तो शत्रु की हानि अथवा किसी स्त्री से भेंट या स्त्रीलाभ होता है। 


दिशानुसार दिन के प्रथम प्रहर में काक ध्वनि का फल-


दिन के प्रथम प्रहर में यदि दक्षिण दिशा से आवाज हो तो प्रिय का मिलन, सुख या किसी स्त्री से भेंट आदि का फल मिलता है। पश्चिम दिशा से हो तो किसी पूज्य व्येक्ति का आगमन या उसी दिन बारिश होता है। वायुकोण से आवाज हो किसी पथिक से साक्षात्कार या किसी प्रियजन के साथ मिलन होता है। पूर्वदिशा से आवाज हो तो मित्र समागम या नष्ट वस्तु का लाभ या किसी अभीष्ट की सिद्धि होती है। ये आवाज नेऋत्य दिशा से हो तो मनोकामना की पूर्ति, मीठी वस्तु का लाभ या किसी पुरुष या स्त्री मित्र से भेंट होता है। ईशान से ये आवाज हो तो अनेक प्रियजनों या अनेक जनों से साक्षात्कार, अभीष्ट लाभ या अग्निभय उपस्थित होता है। इसी प्रहर में यदि मस्तक के ऊपरी भाग में आवाज हो तो सन्मान की प्राप्ति, सुख, धन-संपत्ति लाभ या इष्टसिद्धि का कारक होता है।


दिशानुसार दिन के दूसरे प्रहर में काक ध्वनि का फल-


दूसरे प्रहर में यदि उत्तर दिशा से आवाज हो तो इष्टजनों का आगमन या धन की प्राप्ति होती है परन्तु यदि यही आवाज कर्कश हो तो चोर या चोरी का भय होता है। पश्चिम दिशा से आवाज हो बारिश का आगमन, स्त्री समागम या अग्निभय आदि का सूचक होता है। दक्षिण दिशा से आवाज हो तो प्रिय से भेंट, बारिश का आगमन या अति भय का कारक होता है। वायुकोण से आवाज हो जयलाभ तथा आवाज कर्कश हो तो किसी से फटकार, चोर या चोरी का भय उत्पन्न होता है। अग्निकोण से हो तो किसी प्रिय के आगमन के संवाद की प्राप्ति या कलह या किसी नारी से भेंट आदि का सूचक होता है। पूर्व दिशा से हो चित्त व्याकुल, शंकालु, चोर भय या किसी पथिक के आगमन का सूचक होता है। इसी प्रहर में यदि मस्तकोपरि ये आवाज हो किसी राजतुल्य या महत्वपूर्ण व्येक्ति से लाभान्वित या मीठी वस्तु की प्राप्ति होती है।

दिशानुसार दिन के तीसरे प्रहर में काक ध्वनि का फल-


तीसरे प्रहर में यदि उत्तर दिशा से आवाज हो तो किसी शुभ समाचार की प्राप्ति, खाद्यान्न का लाभ, यात्रा या किसी वैश्य जाती के मनुष्य का आगमन होता है। पश्चिम दिशा आवाज हो तो किसी मित्र का आगमन, यात्रा, नष्ट वस्तु का लाभ, अभिलाषित समाचार की प्राप्ति या किसी नारी का आगमन होता है। यदि ये आवाज अत्यंत मधुर हो तो उसी दिन मंगलमय यात्रा या यात्रा द्वारा कार्य की सिद्धि होती है। अग्निकोण से आवाज हो शुभ समाचार की प्राप्ति तथा जय सुनिश्चित होता है परन्तु आवाज कर्कश हो तो अशुभ समाचार की प्राप्ति या कलह सूचित करता है। पूर्वदिशा से आवाज हो कार्यसिद्धि, सरकारी कामकाज के लिये गमन या जय सुनिश्चित होता है तथा यही आवाज अत्यंत कर्कश हो तो बारिश का आगमन या चोरभय उपस्थित होता है। नैऋत्य दिशा से आवाज हो तो किसी शुद्र व्येक्ति का आगमन, मीठी वस्तु का लाभ, दुखदायी समाचार की प्राप्ति या यात्रा द्वारा कार्य का नाश होता है। ईशान दिशा से मधुर आवाज हो तो खाने की वस्तु का लाभ व जय सुनिश्चित होता है परंतु यदि शब्द कर्कश हो तो कलह या हानि होती है। वायुकोण से आवाज हो तो मेघ से परिपूर्ण आकाश एवं प्रबल बारिश का सूचक तथा प्रिय समागम, शान्तिप्रद एवं मधुर वाणी का श्रवण, सुंदरी स्त्री से भेंट या यात्रा सिद्ध होती है। यही आवाज अगर कर्कश हो उपरिउक्त शुभ फलों की प्राप्ति नही होती। इसी प्रहर में यदि मस्तकोपरि ये आवाज हो तो भोजन या पान आदि भोज्य पदार्थों की प्राप्ति होती है।


दिशानुसार दिन के चौथे प्रहर में काक ध्वनि का फल-


दिन के चतुर्थ प्रहर में उत्तर दिशा से आवाज हो तो किसी से भेंट वस्तु का लाभ, कुशल समाचार की प्राप्ति, धनलाभ या यात्रा द्वारा धन की प्राप्ति का सूचक होता है परंतु यदि घर में रोगी हो तो रोगी की मृत्यु या उसके जीवन का संकट उपस्थित होता है।  वायुकोण से आवाज हो तो एक सप्ताह के अंदर कुछ दिनों के लिए यात्रा होती है या किसी चहेते नारी का आगमन होता है। दक्षिण दिशा से आवाज हो किसी शिष्टाचार से पूर्ण व्येक्ति का आगमन या शत्रु भय उपस्थित होता है। ईशान दिशा से आवाज हो तो शुभ समाचार की प्राप्ति या घर मे रोगी हो तो उसका विनाश होता है। पश्चिम दिशा आवाज हो किसी ब्राम्हण या किसी नारी का आगमन, धन का लाभ, जय लाभ या बारिश का सूचक होता है। पूर्व दिशा से आवाज हो धनलाभ, रोग या भय का सूचक होता है। नैऋत्य दिशा से आवाज हो पथ में चोर से विवाद या कलह, अभीष्ट लाभ या समृद्धि का सूचक होता है। अग्निकोण से आवाज हो तो किसी शिष्ट व्येक्ति का आगमन, भय या अपमृत्यु का फल प्राप्त होता है। इसी प्रहर में यदि मस्तकोपरि आवाज हो तो यात्रा सिद्ध या इष्ट सिद्धि का सूचक होता है।

नोट

काक तंत्र में कौवे की जाती पांच प्रकार की होती है।ब्राम्हण जाती के काक की ध्वनि का तुरंत फल, क्षत्रिय जाती के काक का तीन दिवस में फल, वैश्य जाती के काक का एक सप्ताह में फल तथा शुद्र जाती के काक का एक पक्ष में फलों की प्राप्ति होती है। यहाँ नारी का आगमन इत्यादि फलों से यह अनुमान लगाना गलत होगा कि किसी युवती या सुंदरी नारी का ही आगमन होगा क्योकि हो सकता है की साधारण किसी सामाजिक या पड़ोस के किसी महिला का आगमन आदि भी हो ऐसा समझना चाहिए तथा महिला वृद्धा या मध्य वयस्कों में से कोई भी हो सकती है। इसके अलावा काक का स्वाभाविक स्वर या मधुर स्वर के भेद से इन फलों की प्राप्ति-अप्राप्ति की भिन्नता होती है तथा अति कर्कश ध्वनि से फलों की प्राप्ति का न होना भी संभव है। मैंने गत २० वर्षों से अधिक इस काक तंत्र विद्या को हमेशा ७५ से ८० प्रतिशत सही पाया और ज्योतिष या जन्मकुण्डली के बिना ही भविष्य में घटने वाली घटनाओं को घटित होते देखा है। आप भी काक तंत्र द्वारा अपने अज्ञात भविष्य को जानकर इसकी प्रशंसा किये बिना नही रह पाएंगे। अब जब भी आपके समीप कोई काक ध्वनि हो तो इस पोस्ट को पुनः पढ़कर इसके अज्ञात फलों कि जानकारी ले पाएंगे। 


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